छोड़ दे बेचैन रहना
चलो जो बन पाए वो करते हैं
लड़ते जाना भिड़ते जाना
तो हिम्मत है ही
कभी-कभी हिम्मत है ये भी कहना,
कि डरते हैं
मंजिल दौड़कर पा जाओगे
तो फिर क्या दौड़ने का मजा
आइये हुजूर जरा
मुंह के बल भी गिरते हैं
कभी जो हो जाए,
इज़्ज़त का फालूदा
फ्रिज में रखना और कहना,
चलो अब इसको ठंडा करते हैं
हारने के डर से बैठे हो,
अखाड़ा छोड़कर
आओ दो दो हाथ करें
कीचड़ में कुश्ती लड़ते हैं
तमाशा देखने बैठी है दुनिया
और हम तुम बन्दर बन बीच खड़े
बाँध घुँघरू ,नाच मेरे संग
भले ही दुनिया लाख कहे ,
देखो दो मूरख बन्दर क्या करते हैं ।