वही पुल जो बनाया था शहर जोड़ने को
आज ना जाने कितने सपने तोड़ गया |
short poems
सवाल
short poemsउसे ठोकर ना लगाओ अभी वो ज़िंदा है
रुकी साँसो पे ना जाओ अभी वो जिंदा है
माना कि रुक गया है धड़कनो का सिलसिला
माना कि थम गयी है जिस्म की हलचल
पर आँखों मे उठते ख्याल तो देखो
जुबाँ पे जमे हुए सवाल तो देखो
मुझे यकीन है की वो ज़िंदा है
बस शायद खुद पे या खुदा पे शर्मिंदा है
शहरी
short poemsखबर आयी है कि सूखा पड़ा है गांवों में
लोग पानी को तरसते हैं,
सुनकर जी भर आया, बेचारे पढ़ लिख गये होते तो ऐसा ना होता
बिसलेरी बीस की ही तो आती है |
रहगुजर
short poemsये रास्ता कहीं तक तो जाता है,
वैसे मुझे फ़िक्र नही कि कहाँ जाता है,
बस चलने का शौक है, कफिलों की तलब है