सरहद पर वो खड़े रहे
स्वाभिमान पर अड़े रहे
वक़्त आया तो भिड़ गए वो मौत से
माँ की तस्वीर, बच्चों के ख़त
उनके बटुओं में पड़े रहे ।
सरहद पर वो खड़े रहे
स्वाभिमान पर अड़े रहे
वक़्त आया तो भिड़ गए वो मौत से
माँ की तस्वीर, बच्चों के ख़त
उनके बटुओं में पड़े रहे ।
वजह ये नहीं है , या थी , या रहेगी,
कि तुम कितने बुद्धिमान हो
वजह हमेशा से यही है , यही थी और रहेगी,
कि तुम कहाँ पे जन्मे , तुम किसकी संतान हो
वायरस और भूख के बीच जंग जारी है
गरीब होना भी एक वैश्विक महामारी है
बंद हो गया दाना पानी,
नहीं मिला जब राशन
कस के बांधो पेट पे गमछा,
और सुनो सब नेताजी का भाषण।
बाजार में खड़ा हूँ
दामन बिछाये अपना,
बोली लगाइये साहिबान
बहुत जरूरी है मेरा बिकना
रंगों का बड़ा शौक है उसे ,
जिस दिन से आयी वो घर में,
परदे गुलाबी हो गए और जिंदगी सुनहरी ।
चंगे मन के रंग अनेक
रंगों में डूबा मनरंगी |
आइना शक्लें जुदा कर गया
मेरी नस्लें पता कर गया
निगाहें ढूढती रहीं सरहदों के निशाँ
बस यहीं वो दगा कर गया ।
सब कुछ बिल्कुल बना मिले,
ये दुनिया ऐसी कहाँ मिले |
जो तू माँगे तो खाक मिले,
जो ना माँगे तो जहाँ मिले |