मन्जिलों पे कहाँ मिलता है रूह का सुकून
ये तो रास्ते हैं जो जीने का सबब बनतें हैं
मुझ अकेले से सँभल जाए ये दुनिया नही ऐसी
कुछ हौसले जुड़ते हैं तो ख्वाबो के शहर बनतें हैं |
ये जगह इन्ही रास्तों के नाम, इन्ही हौसलों के नाम
मन्जिलों पे कहाँ मिलता है रूह का सुकून
ये तो रास्ते हैं जो जीने का सबब बनतें हैं
मुझ अकेले से सँभल जाए ये दुनिया नही ऐसी
कुछ हौसले जुड़ते हैं तो ख्वाबो के शहर बनतें हैं |
ये जगह इन्ही रास्तों के नाम, इन्ही हौसलों के नाम