मंजिलों की कश्मकश
उलझा गयी कुछ यूँ हमें
सर खपाना याद रखा
पर मुस्कुराना भूल आये
आकड़ों की गश्त से
सहमे हुए हैं ख्वाब सारे
हमने हर पैमाना याद रखा
पर गुनगुनाना भूल आये
मंजिलों की कश्मकश
उलझा गयी कुछ यूँ हमें
सर खपाना याद रखा
पर मुस्कुराना भूल आये
आकड़ों की गश्त से
सहमे हुए हैं ख्वाब सारे
हमने हर पैमाना याद रखा
पर गुनगुनाना भूल आये