तो थोड़े पेड़ और काट दो
ऐसी भी क्या मजबूरी है
सारे खुश हैं प्रगति देखकर
इसमें सबकी मंजूरी है
इतने से क्या होता है
मैंने तो नहीं देखा कि ,
पेड़ कटे तो जंगल रोता है
अरे ये हमारी उत्पादकता का औजार है
और तुम कहते हो कि बच्चे साँस लेने से बीमार हैं
ऐसा कुछ नहीं होता
ये तो विकास रोकने के बहाने हैं
जरा पता करो वो ईंट के ट्रक कब आने हैं
ध्यान रखना ईटें हर जगह बिछ जायें
नया शहर ये पढ़े-लिखों का ,
उनको मिट्टी ना दिख जाए |
waah….jabardast kataksh……..
vikash men andhe log bhala mitti ki khushbu kyaa jaane……
hai bhari tijori jinki we bhukh ka matlab kyaa jaane.
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