आइना short poems आइना शक्लें जुदा कर गया मेरी नस्लें पता कर गया निगाहें ढूढती रहीं सरहदों के निशाँ बस यहीं वो दगा कर गया । इसे शेयर करे:TwitterFacebookWhatsAppLike this:पसंद करें लोड हो रहा है...